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चौसा आम

गर्मियों में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले फल से जुड़ी कुछ खास बातें

गर्मियों में सबसे ज्यादा मांग में रहने वाले फल से जुड़ी कुछ खास बातें

आम को फलों का राजा भी कहा जाता है। गर्मियों के दिन हों और आम का ख्याल मन में ना आए ऐसा संभव ही नहीं। जी हाँ, सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व में आम की ताजगी और स्वाद का परचम लहराता है। 

इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसे आम की जानकारी लेकर आए हैं, जिस आम को आमों का बादशाह कहा जाता है। 

भारत के अंदर इस आम की अत्यधिक मांग होती है। अल्फांसो आम को नर्सरी में भी उगाया जा सकता है। लोग इसका कई तरीकों से सेवन करते हैं। 

कुछ लोग इसका जूस बनाकर पीना पसंद करते हैं, तो कई लोग आइसक्रीम बनाने में भी इसका उपयोग करते हैं। आम की बहुत सारी प्रजातियाँ होती हैं। अल्फांसो आम इन्हीं में एक आम की किस्म है। 

आम की बुवाई कब और कैसे करें ?

आम की बुवाई जून माह में करनी सबसे अच्छी होती है। खेत में 4 से 6 इंच वर्षा हो जाने के बाद गड्ढे तैयार कर लें। गड्ढे तैयार करने के बाद आम का रोपण करें। 

ध्यान रहे कि 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त के मध्य आम का रोपण कभी नहीं करना चाहिए। क्योंकि, यह संपूर्ण वर्षा का मौसम है। 

इसलिए कृषक भाई सदैव भरपूर वर्षा की अवधि में आम की रोपाई को टालें। अगर पर्याप्त सिंचाई उपलब्ध हों, तो ऐसे में फरवरी मार्च के महीने में आप आम का रोपण कर सकते हैं। यह समय आप की रोपाई के लिए अत्यंत उपयुक्त है।

आम की उन्नत किस्में इस प्रकार हैं ?

आम की किस्मों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम शीघ्रफलन प्रजाति जो काफी तेजी से विकसित होकर फल देने लायक बनता है। इसके अंतर्गत आम की तोतापुरी, गुलाबखस, लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन, दशहरी और बैगनफली आदि। 

आम की दूसरी शानदार किस्म मध्यम फलन किस्म है। जैसे मल्लिका, हिमसागर, आम्रपाली, केशर सुंदरजा, अल्फांजो आदि। 

प्रसंस्करण वाली किस्मों में बैगनफली, अल्फांजो, तोतापरी इत्यादि हैं। आम की तीसरी देर से फलने वाली उन्नत किस्में चैंसा और फजली है। हालांकि इन सभी बेहतरीन किस्मों की अलग अलग विशेषताएं हैं। 

आम के फलों की तुड़ाई एवं रखरखाव कैसे करें ?

फलों की तुड़ाई थोड़ा डंठल सहित करें। फलों की तुड़ाई के बाद फलों को अच्छी तरह साफ कर लें। फलों को सदैव हवादार यानी खुले वातावरण में ही रखें। प्लास्टिक की बजाय लकड़ी के बक्से का उपयोग भंडारण के लिए किया जा सकता है।

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फलों को उसके आकार के मुताबिक अलग-अलग रखें। उसका ग्रेड बनाएं। आम की तुड़ाई में इस बात का विशेष ध्यान रखें, कि फल कभी धरती पर ना गिरने पाए। हवादार कार्टून में हमेशा भूसे अथवा सुखी पत्तियां डालकर ही आम को बंद करें। इससे उत्पाद खराब नहीं होगा।

आम की खेती पर सब्सिडी कैसे प्राप्त करें ?

केंद्र सरकार और राज्य सरकार आम की खेती के लिए ही नहीं विभिन्न बागवानी उत्पादों की खेती जैसे फल-फूल सब्जियों आदि के लिए व्यापक अनुदान प्रदान करती है। 

बागवानी पर किसानों को 50 से 80% प्रतिशत तक की अनुदान दिया जाता है। बागवानी पर मिलने वाली सब्सिड़ी की परस्पर जानकारी के लिए मेरीखेती से जुड़े रहें। 

यहां कृषकों से जुड़ी समस्त अनुदानित योजनाओं को कवर किया जाता है। बागवानी की अनुदान से संबंधित राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की योजनाओं को कवर किया गया है।

बागवानी के लिए लोन कैसे प्राप्त करें ?

बागवानी के लिए ऋण के प्रावधान केवल केंद्र सरकार ने ही नहीं बल्कि भिन्न-भिन्न राज्य सरकारें भी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कर्जा प्रदान कर रही है। बैंक से बागवानी के लिए काफी सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। साथ ही, कृषकों को ब्याज पर छूट भी प्रदान की जाती है।

चौसा आम की विशेषताएं

चौसा आम की विशेषताएं

आम की विभिन्न विभिन्न प्रकार की किस्में है और उन किस्मों में से जो लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं वह चौसा आम की किस्म है। यदि आपने चौसा आम खाया होगा, तो आपको भी इस बात का अंदाजा होगा। कि चौसा आम कितना स्वादिष्ट और मीठा होता है। चौसा आम की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे। 

चौसा आम :

चौसा आम बाजार और मार्केट में जुलाई के महीने में आता है चौसा आम का इंतजार लोग बहुत ही बेसब्री से करते हैं। क्योंकि इस आम के गूदे और रेशों मे इतनी मिठास होती है कि खाने के बाद मन मोह हो जाता है। चौसा आम दिखने में बेहद ही खूबसूरत लगता है और इसमें भीनी भीनी खुशबू आती है। सभी आमों की अहमियत कम हो जाने के बाद चौसा आम की अहमियत खास हो जाती है। चौसा आम के संदर्भ में लोगों का यह कहना है। कि करीबन सन 1539 में बिहार क्षेत्र चौसा में शेरशाह सूरी द्वारा हुमायूं से युद्ध के दौरान शेरशाह सूरी ने जब युद्ध जीत लिया था। युद्ध जीतने के बाद इसे चौसाआम के नाम से उपाधि प्रदान की गई थी। जानकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में चौसाआम की उत्पत्ति हुई थी। कुछ इस प्रकार इस आम का नाम चौसा आम पड़ा है।

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चौसा आम का वर्तमान स्थान :

इस चौसा आम का वर्तमान स्थान पाकिस्तान को कहा जाता है। इसकी मूल पैदावार करने वाला क्षेत्र पाकिस्तान है। पाकिस्तान के करीब मीरपुरखास ,सिंधु तथा मुल्तान और पश्चिमी बंगाल ,साहीवाल आदि, जहां पर इस चौसा आम की पैदावार होती थी यह सभी क्षेत्र चौसा आम का वर्तमान स्थान है। चौसा आम की इस किस्म को भारत तथा उपमहाद्वीप में सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाने का श्रेय शेरशाह सूरी को ही जाता है। जिन्होंने पूरे भारतीय महाद्वीप में चौसा आम को श्रेष्ठ बना दिया। या कुछ आवश्यक बातें थी जो चौसा आम के वर्तमान स्थान से जुड़ी हुई थी। 

चौसा आम को जीआई टैग दिलाने का प्रयास :

चौसा आम की बढ़ती मांग को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसे जीआई टैग दिलाने का प्रयास करना शुरू कर दिया है। क्योंकि उत्तर प्रदेश के मलिहाबादी दशहरी आम को जीआई टैग दिलवाने के बाद, अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय चौसा आम की ओर बढ़ रहा है। जिससे कि जीआई टैग द्वारा इसकी अच्छी कीमत विदेशों से मिल सके। इन जीआई टैग द्वारा चौसा आम और भी खास हो जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में काम करने वाले कर्मचारियों ने आईसीएआर के अंतर्गत, यूपी के मंडी परिषद से आग्रह करते हुए। चौसा आम की किस्म को जीआई टैग मान्यता प्राप्त करने की अनुमति मांगी है।

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शेरशाह सूरी और चौसा आम के संबंध के विषय में जाने :

कहा जाता है कि मुगल सम्राट शेरशाह सूरी को चौसा आम की यह किस्म बहुत ही पसंद थी। आम की इस किस्म को चौसा नाम हुमायूं को हराने के बाद दिया गया था। जहां पर हुमायूं को हराया गया था। उस जगह के नाम पर आम की इस किस्म का नाम चौसा आम रखा गया था। शेरशाह सूरी द्वारा यह किस्म और यह नाम आज भी बहुत मशहूर हैं। दुनिया भर में लगभग आम की डेढ़ हजार किस्में मौजूद है और उन किस्मों में से एक किस्म चौसा आम की है। मुगलों के समय चौसा आम बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय था। हुमायूं को हराने के बाद शेरशाह सूरी बहुत ही ज्यादा खुश थे और इस खुशी के चलते उन्होंने आम कि इस किस्म को चौसाआम के नाम की उपाधि प्रदान की कुछ इस प्रकार चौसा आम और शेरशाह सूरी के संबंध थे।

चौसा आम के फायदे :

  • चौसा आम खाने से शरीर स्वस्थ रहता है और गर्मियों में लू लगने से बचाव होता है। चौसा आम खाने से ताजगी बनी रहती है और गर्मी कम लगती है।
  • चौसा आम में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीऑक्सीडेंट जैसे आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं।
  • चौसा आम खाने से इम्यूनिटी सिस्टम अच्छा रहता और पाचन क्रिया संतुलित बनी रहती है
  • ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है तथा आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।
  • किसानों को चौसा आम की फसल से बहुत फायदा होता हैं क्योंकि इसमें कम लागत में फसल तैयार हो जाती है और बेहद मुनाफा होता है। मार्केट, दुकानों में चौसा आम बहुत ऊंचे दाम पर बेचे जाते हैं।

चौसा आम का बीज उपचार :

चौसा आम का बीज रोपण करने से थोड़ी देर पहले आपको चौसा आम की फसल के बचाव के लिए डाइमेथोएट में कुछ देर पत्थरों को डूबा कर रखना चाहिए। इस प्रक्रिया द्वारा चौसा आम की फसल सुरक्षित रहती है। किसी भी तरह के फंगल से फसल को बचाने के लिए कैप्टन कवकनाशी के साथ बीजों को मिलाकर रखना चाहिए। 

चौसा आम के लिए उपयुक्त जलवायु :

चौसा आम की अच्छी फसल के लिए सबसे अनुकूल जलवायु उष्णकटिबंधीय जलवायु होती है। ज्यादा ठंड इस पौधे के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं। समतल जलवायु में पौधे भारी मात्रा में उत्पादन होते हैं। चौसा आम की किस्में वार्षिक और शुष्क मौसम में बहुत ही अच्छी तरह से उगती हैं।

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चौसा आम के लिए उपयुक्त सिंचाई :

मौसम के आधार पर आपको सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। मिट्टी में नमी बनाए रखिए जलवायु और सिंचाई का स्त्रोत समान होना चाहिए। नए पौधों को हल्की सिंचाई देते रहें। चौसा आम की फसल के लिए सबसे सर्वोत्तम सिंचाई हल्की सिंचाई होती है। जब बरसात का मौसम आ जाए और खूब तेज बारिश होने लगे, तो आपको बारिश के आधार पर ही चौसा आम की फसलों की सिंचाई करना है। भूमि के चारों तरफ भली प्रकार से मेड बना दें। जल निकास का मार्ग बनाए, ताकि किसी तरह की सड़क गलन की समस्या न हो। चौसा आम की फसल के लिए तापमान लगभग 80 सेल्सियस से लेकर 85 सेल्सियस तक का सबसे उचित होता है। 

दोस्तों हम उम्मीद करते हैं , कि आपको हमारा यह चौसा आम की विशेषताएं का आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि आप हमारी दी हुई सभी महत्वपूर्ण जानकारियों से संतुष्ट है। तो हमारी इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ और अन्य सोशल मीडिया पर शेयर करते रहें। धन्यवाद।